| 1. | प्रेम की पराकाष्ठा परिलक्षित हो रही है पंक्ति दर पंक्ति!!
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| 2. | और आश्चर्य यह कि पंक्ति दर पंक्ति सही सुना देते।
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| 3. | और आश्चर्य यह कि पंक्ति दर पंक्ति सही सुना देते।
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| 4. | पंक्ति दर पंक्ति दुहराते बखानने लगूँ तो एक पोस्ट ही बन जाएगी।
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| 5. | अर्श मियाँ पंक्ति दर पंक्ति तुम दिल जीतते गए....जीतते गए...जीतते गए
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| 6. | एक खूबसूरत अहसास पंक्ति दर पंक्ति उभर कर दिलो दिमाग पर छागया...
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| 7. | पंक्ति दर पंक्ति अंत तक आते आते एकदम से स्तब्ध कर गये आप..
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| 8. | .. पंक्ति दर पंक्ति तो याद नहीं है पर कुछ कुछ ऐसी थी......
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| 9. | उनमें ज़िन्दगी की गरमाहट और संवेदना का घनत्व पंक्ति दर पंक्ति दिखायी देता है।
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| 10. | पंक्ति दर पंक्ति यह कविता और मुखर, और तेजोमय होती जाती है.
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